● मशीन टूल्स में लुब्रिकेट प्रयोग करने का मुख्य उद्देश्य मेटिंग पार्ट्स के बीच घर्षण को कम करना होता है ।
● मीट्रिक सेल्फ होल्डिंग पेपर के लिए टेपर की मात्रा 1: 20होती है।
● रेडियल / जर्नल बेयरिंग्स जिसमें लोड सॉफ्ट के अक्ष के लंब रूप में कार्य करता है ।
● साइन बार का साइज रोलरो के सेंटर से सेंटर की दूरी द्वारा निर्दिष्ट किया जाता है।
● ज़िग एक डिवाइस है जो कटिंग टूल को पकड़ता है ।
● गैस कार्ब्यूराइजिंग के लिए मीथेन का प्रयोग किया जाता है।
● ऐक्मी थ्रेड को निर्दिष्ट करने के लिए 60× 9 संक्षिप्त रूप है।
● किसी कंपोनेंट के साइज की अधिकतम लिमिट और उसके अनुरूप बेसिक साइज के बीच के अंतर को उच्चतम विचलन कहते हैं ।
● फाइलिंग करते समय रिटर्न स्टॉक के फाइल से प्रेशर हटाने के कारण फाइल में दांतो को घिसने से बच जाता है ।
● कटिंग टूल का क्लीयरेंस एंगल कार्य के साथ संपर्क में आने से कटिंग एज को रगड़ खाने से बचाता है ।
● एक फॉर्म टूर पर फ्रंट क्लीयरेंस एंगल गाइड नहीं किया जाता है ।
● लेथ की टेडी रेस्ट की पैड बनाने के लिए ब्रास मटेरियल का प्रयोग किया जाता है ।
● हार्ड मटेरियल की टर्निंग में प्रयुक्त कार्बाइड टूल में नेगेटिव रेक एंगल होता है ।
● ड्रिल में बढ़े हुए लिप क्लीयरेंस के परिणाम स्वरुप कटिंग एज कमजोर हो जाती है।
● मिलिंग मशीन आर्वर पर दिए गए स्टैंडर्ड पेपर का अनुपात 24 से 7 होता है ।
● स्क्रु पिच गेज का मुख्य कार्य क्रेस्ट के बीच की दूरी चेक करना होता है ।
● साधारण कार्यों के लिए ड्रिल का पॉइंट 118 डिग्री होता है ।
● टाइप- B प्रकार का सेंटर ड्रिल जोकि सेंटर होल के संरक्षण के लिए प्रयोग किया जाता है ,के काउंटर सिकिंग भाग का सिर्फ कोण 120 डिग्री होता है।
● केपस्टन लेथ पर बॉक्स टर्निंग टूल का प्रयोग ट्रेट हैंड से प्लेन टर्निंग कार्य के लिए किया जाता है ।
● सिंगल प्वाइंट कटिंग टूल का प्रयोग करते हुए लेथ पर ट्रेड काटते समय टूर द्वारा चले गए रास्ते को हेलिक्स कहते हैं ।
● टर्निंग के लिए फेस प्लेट का प्रयोग अनियमित आकार के जॉब के लिए किया जाता है ।
● लेथ मशीन पर थ्रेडिंग करते समय लीड स्क्रु के द्वारा कैरेज को मुंव किया जाता है ।
● हैंड वॉइस के लिए विंग नट का प्रयोग किया जाता है ।
● ब्रांडिंग को 450 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान पर किया जाता है।
● केपस्टन लैथ पर फिंगर स्टाफो की पोजीशन रेडियली होती है ।
● किसी नरम धातु में कठोरता पैदा करना हार्डेनिंग कहलाता है।
● ड्रिल का हेलिक्स एंगल तीन प्रकार का होता है ।
● जिस "की" से ड्रिल चल को खोला या बंद किया जाता है उसे" ड्रिल चक की" कहते हैं ।
● ट्राई एक्वायर की मुख्य तक 2 भाग होते हैं ।
● चीजल का कटिंग A और B होना चाहिए ।
● स्लिप गेज की पांचवीं श्रेणी में 9 ब्लॉक होते हैं ।
● टेपर होल करने के लिए टेपर प्लस गेज का प्रयोग किया जाता है ।
● लेथ पर पार्किंग ऑफ उच्च स्पीड पर की जानी चाहिए ।
● बड़े साइज के सुराख को अधिक फीट देकर ड्रिलिंग करेंगे तो सुराख अंडाकार बनेगा ।
● बेसिक साइज वह होता है जिस पर भी विचलने दी जाती है ।
● टैपिंग के लिए ड्रिल का साइज टेप के साइज से कम होना चाहिए ।
● एलुमिनियम पर थ्रेड काटने के लिए मिट्टी का तेल लुब्रिकेंट का प्रयोग किया जाता है।
● प्रयोग में लाए जाने वाले दो प्रकार के लंबाई के स्टैंडर्ड मीटर तथा गेज हैं।
● कांबिनेशंस के प्रोटेक्टर हैंड के साथ लगे स्प्रिट लेवल का उद्देश्य हॉजिरजॉन्टल प्लेन के साथ कोण की सेटिंग करना है।
● हेक्सा ब्लेड के दांतो के पिच कोर्स 1.8 मिमी. होता है।
● मेटिंग पार्टस के बीच क्लीयरेंस फीलर गेज द्वारा मापा जाता है ।
● लेथ हैंड स्टॉक स्पिण्डल की नोज पर मोर्स टेपर पर प्रयोग किया जाता है।
● एनीलिंग करने का मुख्य उद्देश्य मशीनिंग गुणों में सुधार लाना है।
● टेलीस्कोपिंग गैस का प्रयोग 12.7 से 152.4 मिमी .रेंज में सुराख को मापने के लिए किया जाता है ।
● फेस प्लेट का प्रयोग करते समय मशीनिंग करने के दौरान एंगल प्लेट को पकड़ा जाता है ।
● वर्म थ्रेड की गहराई सबसे अधिक होती है ।
● कास्ट आयरन में ड्रिलिंग करते समय सूखी हवा उपयोग किए जाने वाला कुलेन्ट होना चाहिए।
● लंबाई की बेसिक यूनिट (आईआई द्वारा) मीटर है।
● स्टील रूल की मीट्रिक क्षमता 0.5 मिमी. होती है ।
● सतह की स्क्वायरनैस की जांच ट्राई स्क्वायर के द्वारा की जाती है।
● फाइल का विभाजन उसकी लंबाई के आधार पर किया जाता है।
● फ्लैट सतह से धातु काटने में फ्लैट चीजल का प्रयोग किया जाता है