● फुट प्रिंट रिंच का प्रयोग फिनिश की हुई ट्यूबलर सरफेस पर किया जाता है ।
● किसी स्टेप या ब्लाइड होल की गहराई मापने के लिए वर्नियर डेप्थ गेज का प्रयोग किया जाता है ।
● माइक्रोमीटर का स्पिण्डल भाग बैवल किया हुआ होता है ।
● लेथ पर पतली प्लेट को पकड़ने के लिए थ्री जॉ चक का प्रयोग किया जाता है ।
● काउंटरिंग रिवेटिंग का कोण 80° का होता है।
● स्थिर जॉब पर ब्रोंच को पुश करके जो कार्य क्रिया की जाती है उसे पुश ब्रोंचिंग कहते हैं ।
● गीली ग्राइडिंग के लिए सिलिकेट बाण्ड ग्राइंडिंग व्हील उपयोगी है ।
● वर्टिकल मिलिंग मशीन में स्पिंडल वर्टिकल में होता है ।
● रिलीव कटर्स को दोबारा इनकी फ्लेंक पर ग्राइंड करते हैं ।
● स्लाटर पर फीड मोशन प्रत्येक डबल स्टॉक के बाद देते हैं ।
● हाई स्पीड स्टील के एंड मिल कटर की लगभग हार्डनैस 62 HRC होती है ।
● शेयर द्वारा गियर के दांत काटने के लिए फॉर्म टूल प्रयोग किया जाता है ।
● डेड सेंटर का पॉइंट 45 एंगल होता है ।
● स्टील में कार्बन की प्रतिशत मात्रा बढ़ाने से हार्ड नेस बढ़ जाती है ।
● कोल्ड चिजल की लंबाई 150 से 200 मिनी होती है ।
● क्रॉस फाइलिंग और ब्रॉक फाइलिंग रेती चलाने के प्रकार हैं।
● फीमेल जॉबओ के अंदरूनी किनारों को रोकने के लिए पिलर फाइल का प्रयोग होता है ।
● मशीनिंग करने के बाद किसी सतह से धातु परत हटाना स्क्रेपिंग कहलाता है ।
● ट्रेंगुलर स्क्रेपर में तीन कटिंग एज होते हैं ।
● हाई कार्बन स्टील में कार्बन की प्रतिशत मात्रा 0.7 से 1.5 परसेंट होती है ।
● वर्नियर कैलिपर का लिस्ट काउंट 0.02 मिमी होता है ।
● किसी होल /बोर का साइज चेक करने के लिए प्लग गेज का प्रयोग किया जाता है ।
● स्क्रेपिंग के लिए अकाउंट 0.5 से 0.8 मिमी. रखा जाता है।
● एक मीटरिंग आउटसाइड माइक्रोमीटर का लिस्ट 0.1 मिमी. होता है ।
● एक माइक्रोन का मान 0.001 मिमी होता है ।
● ड्रिल हाई स्पीड स्टील का बना होता है ।
● ड्रिल का कटिंग 118 एंगल होता है ।
● ड्रिल का हैलिक्स एंगल तीन प्रकार का होता है ।(एन एच एस)
● N- टाइप का हैलिक्स एंगल 10 डिग्री से 13 डिग्री में रखा जाता है ।
● सामान्य रूप से 30 व 15 दांत वाला कटर प्रयोग किया जाता है ।
● एक्मी चूड़ियों का कोण 29 डिग्री होता है ।
● लैपिंग एलाउंस 0.001 से 0.01 मिमी रखा जाता है ।
● माउंटेड क्वीन व्हील 50 मिमी डायमीटर तक उपलब्ध होते हैं ।
● जब धातु के कर एबरेसिव कड़ों के बीच फंस जाते हैं तो इस प्रक्रिया को लोडिंग कहा जाता है ।
● स्टेट ग्राइंडिंग व्हील का प्रयोग बेलनाकार और चौरस ग्राइंडिंग हेतु किया जाता है ।
● रफ ग्राइंडिंग हेतु कट की गहराई 0.02 से 0.03 मिमी होती है ।
● ट्विस्ट ड्रिल का आंतरिक कोण 118 डिग्री होता है ।
● जैनी कैलीपर का प्रयोग सतह के समानांतर रेखा खींचने के लिए किया जाता है ।
● ड्रिल की चाल को चक्कर या मिनट में मापा जाता है ।
● फाइल ब्लेड में प्रति इंच टीथ की संख्या 28 से 32 होती है ।
● कोर्स ब्लेड में प्रति इंच की संख्या 14 से 18 होती है ।
● शीट मोटाई चेक करने के लिए वायर गैस का प्रयोग किया जाता है।
● पहले किए गए सुराख /बोर को सही साइज में साफ करने के लिए जिस टूल का प्रयोग किया जाता है उसे रीमर कहते हैं ।
● गनमेटल कॉपर जिंक और टीन का मिश्र धातु है ।
● माइल्ड स्टील में कार्बन 0.05 -0.25 % होता है ।
● कटर पर दांतो की संख्या का सूत्र - फीड प्रति मिनट/ फीड प्रति दाता×r.p.m. होता है ।
● धातु को गर्म और ठंडा कर उसके गुणों को बदलना हिट ट्रीटमेंट कहलाता है ।
● चयन किए हुए तापमान पर धातु को अधिक समय तक गर्म करने को शोकिंग कहते हैं.।
● जब गेज ब्लॉकों की सेटिंग की जाती है तो इन्हें आपस में जोड़ने की विधि रिंगिंग कहलाती है ।
● साधारण टर्निंग टूल का कटिंग एंगल 74 डिग्री से 78 डिग्री होना चाहिए